0 views
Shri @GaurGopalDas ji is an Indian lifestyle coach, motivational speaker and former HP engineer. He is a member of the International Society for Krishna Consciousness.
Order Rj Kartik’s First book – https://amzn.in/d/dgBu3JY
Visit Rj Kartik’s official website – https://www.rjkartik.in/
#motivation #motivationalstory #motivationalstoryinhindi #motivational #rjkartik #rjkartikstory #powerfulmotivation #powerofpositivity
#motivation #motivationalvideo #gaurgopaldas #rjkartik
Date: July 15, 2022








भक्ति के लिए सोशल मीडिया का उपयोग होना चिंता का विषय बन गया है। क्या हमारा उद्देश्य हिन्दुओं की संख्या कम करना है? पारंपरिक वानप्रस्थ आश्रम की एक निश्चित आयु होती है। यदि आज की एक संतान — जो कि युवा है और उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहा है (IIT, IIM, MBBS आदि) — युवावस्था में संन्यासी बनने लगे, तो देश की जनसांख्यिकीय संरचना पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा। अगर हम बेहतरीन प्रतिभा को भक्ति के नाम पर जीवन के सामान्य कर्तव्यों और देश-सेवा से हटाते हैं, तो यह राष्ट्र के हित के विरुद्ध होगा। माता-पिता के लिए भी यह दुखद है — वे असहाय महसूस कर सकते हैं और वृद्धाश्रम की ओर प्रवृत्त हो सकते हैं। क्या हम देश के युवा प्रतिभाशाली नागरिकों को उनके सामाजिक और आर्थिक दायित्वों से अलग कर देना चाहते हैं? इसका प्रभाव आज नहीं, पर भविष्य में गंभीर परिणाम दिखा सकता है। तब हमारी दशा हमारे पड़ोसी देशों के समान हो सकती है।
हम गृहस्थ जीवन में रहते हुए भी ईश्वर की आराधना कर सकते हैं, और देश के युवा स्वावलंबी बनकर राष्ट्र को प्रगति के मार्ग पर आगे बढ़ा सकते हैं। माता-पिता को वृद्धाश्रम भेजने से रोकना हमारा कर्तव्य है।
हरे कृष्ण बोलने, गीता वितरण करने, गरीबों को भोजन और वस्त्र देने — ये सभी सच्ची भक्ति के ठोस रूप हैं। नियमित रूप से ईश्वर का नाम स्मरण करने से मन को संतोष मिलता है; यही भगवद्भक्ति का वास्तविक अर्थ है।
परन्तु आज हर चौराहे पर धर्मग्रंथों के साथ खड़े लोगों का एक नया स्वरूप दिखता है। क्या यही हमारा धर्म है — धर्मग्रंथ बेचकर और फिर उनसे संपर्क विवरण लेकर प्रसाद व दान के लिए प्रेरित करना? कई बार इन लोगों द्वारा मोबाइल नंबर लिये जाते हैं, फिर उनसे प्रसाद ग्रहण करने और मासिक दान देने का आग्रह किया जाता है। समय-समय पर यह धारणा फैलायी जाती है कि आपके दान से आपका उत्थान होगा या आपके/आपके पूर्वजों के पाप धुल जाएंगे — अर्थात् धर्म के नाम पर भय पैदा करके दान एकत्रित करना। हर धार्मिक कार्य के लिए एक निश्चित मूल्य तय कर देना क्या धार्मिक सिद्धांतों के अनुरूप है? क्या ईश्वर की प्राप्ति किसी तय मूल्य पर निर्भर हो सकती है?
यह दुखद है कि कुछ लोग धार्मिक कर्मों को व्यवसायिक तरीके से संचालित कर रहे हैं और उसके माध्यम से लाभ उठा रहे हैं। उन्होंने शिक्षित और उच्च योग्यता प्राप्त लोगों (IIT, IIM, MBBS आदि) को अपनी गतिविधियों में शामिल कर लिया है ताकि वे अपनी उच्च आयवर्गीय परिचितों को दान के लिए प्रेरित कर सकें। इससे देश की उन्नति में योगदान देने वाले योग्य युवा अपने कर्म मार्ग से विचलित हो रहे हैं — और यह देश के लिए बड़ी क्षति है।
सरकार और समाज को इस दिशा में सचेत होना चाहिए कि किस प्रकार इन प्रक्रियाओं से सामाजिक व सांस्कृतिक संरचना प्रभावित हो रही है। हमें सोच-समझ कर कदम उठाने होंगे ताकि धार्मिक आस्थाओं का दुरुपयोग न हो और माता-पिता व समाज की भलाई बनी रहे।
Superb ❤❤
❤❤
Just very good example as I have experience same today
apke word guru ji bahut hi sukh prdan krne wale aur mn ko shant krne wale hai …agr hm sb apko aise hi pal pal hr gadi follow krte rhe to hm ek din insan". bn jayege aur hm ek nya savera la payege jo kabhi n ast hone wala hoga
radhe radhe guru ji 🙏🏻
Very Very Very nice video
My husband prays a lot but he never says sorry he is very egoistic
Aaj yh podcast sudden samne aya jb mai bahut adhik stressed hu hr chiz se…….to inn batto ne bahut hadd tak heal to kiya he sath he jo pressure vali batt guruji ne kahi vo samjh aa gayi ki pause Krna jaruri hai jisse destroy kum ho .
Thanks a lot , man of the words kr dikhao kuch aisa ki duniya bann chahe apke jaisa…… keep smiling😊
Thank you it is very good experience ❤️❤️💯
Insightful and inspiring video